नमस्कार,
रबी का सीजन आ चुका है और अब किसान गेहूं,चना,प्याज,आलू,लहसुन समेत अन्य रबी फसलों की बुआई के लिए खेतों की तैयारी मे जुटें हुए है, गेहूं की बुआई करने वाले किसान हर साल गेहूं की नई वैरायटी का विकल्प पूछते रहते है जो किस्म वह लगा रहे है उससे बेहतर किस्म जो उच्च उत्पादन दे और रोगों के प्रति सहन शील भी हो, तो इसी कड़ी मे हम बात करेंगे मध्यप्रदेश के किसानों के लिए गेहूं की उच्च उत्पादन देने वाली प्रमुख टॉप किस्मों और उनकी विशेषताओ के बारे मे । new wheat variety 2025 | new wheat variety 2024 25
गेहूं की सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली नई वैरायटी
गेहूं की सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली वैरायटी या गेहूं की उच्च उत्पादन देने वाली
नई ड्यूरम किस्मों मे पुरानी ड्यूरम किस्में जैसे - पुसा तेजस ,पूसा मंगल और पौषण आदि है लैकिन अब किसान इन किस्मों की बजाय नई किस्मों की बुआई करना चाहते तो उन किसानों के लिए कुछ
नई किस्में है जो मध्यप्रदेश के किसानों के लिए अनुसंसित है - top new wheat varieties for mp |
- HI - 8826 पूसा पौष्टिक
- HI - 8830 पूसा कीर्ति
- DBW - 377 करण बोल्ड
- HD - 3385
गेहूं की नई किस्म HI-8826 पूसा पौष्टिक
Hi 8826 गेहूं की किस्म को हाल ही मे
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है, Hi 8826 गेहूं को पूसा पौष्टिक के नाम से भी जाना जाता है यह किस्म अधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है इस किस्म को 4 से 6 पानी की आवश्यकता होती है |
Hi 8826 पूसा पौष्टिक गेहूं का उत्पादन :
HI 8826 का औसत उत्पादन 48.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वहीं इस किस्म का अधिकतम संभावित अनाज उत्पादन क्षमता 73.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बताई गई है, जिसे अनुकुल मौसम परिस्थितियों मे इसे और भी बढ़ाया जा सकता है |
HI 8826 की पूरी जानकारी के लिए यह देखें 👇👀
गेहूं की नई किस्म HI-8830 पूसा कीर्ति
गेहूं की नई किस्म HI-8830 को भी पूसा के सहयोगी संस्थान गेहूं अनुसंधान केंद्र इंदौर द्वारा देश के मध्य क्षेत्र - मध्यप्रदेश, दक्षिणी राजस्थान,बुंदेलखंड,गुजरात और छत्तीसगढ़ के लिए समय पर बुआई हेतु अनुसंसित किया गया है |
Hi 8830 पूसा कीर्ति गेहूं का उत्पादन :
पुसा कीर्ति को समय से सिंचित अवस्था मे बुआई करने पर इसका उत्पादन 60 से 65.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आसानी से लिया जा सकता है। वहीं अनुकूल मौसम परिस्थितीयो में इसके उत्पादन को और भी बढ़ाया जा सकता है |
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गेहूं की नई किस्म DBW - 377 करण बोल्ड
हाल ही में ICAR-Indian Institute of Wheat & Barley Research Karnal भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल हरियाणा ने गेंहू की एक और नई किस्म new variety को जारी कर दिया है। इस किस्म का नाम DBW 377 karan bold (डीबीडब्लू 377 / करण बोल्ड) ( New wheat Variety 2025) है।
DBW-377 करण बोल्ड गेहूं का उत्पादन :
डीबीडब्लयू 377 गेहूं के उत्पादन की अगर हम बात करे तो इसकी समय पर सिंचित शीघ्र अवस्था में बुआई की जाने पर इसका अधिकतम उत्पादन 86.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया गया है वही इसका एवरेज उत्पादन 64 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया है | जो की अन्य चेक प्रजातियों (जैसे डी बी डब्ल्यू 303, डी बी डब्ल्यू 187, और डी बी डब्ल्यू 322) की तुलना में ज्यादा देखा गया है |
बात करें अवधि की तो गेंहू डीबीडब्लयू 377 किस्म 124 दिन में पककर तैयार की जा सकती है एवं इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 87 सेमी है।
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गेहूं की नई किस्म HD-3385
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं (IARI) नई दिल्ली द्वारा विकसित गेहूं की यह नई किस्म बड़ते तापमान के प्रति शहनशील व जल्दी बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है इस किस्म की ऊंचाई लगभग 98 से.मी. है इस किस्म का दान आकर्षक चमकदार एंव बोल्ड होता है |
HD-3385 गेहूं का उत्पादन :
HD-3385 गेहूं के उत्पादन की अगर हम बात करे तो समय पर बुआई करने पर इसका अधिकतम उत्पादन लगभग 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है | जो की अन्य गेहूं की किस्मों - HD 2967 किस्म से 15%, HD 3086 किस्म से 10%, DBW 222 से 9% और DBW 187 से 6.7% ज्यादा है।
अगली पोस्ट के माध्यम से हम खाने वाले गेहूं की नई किस्मों की बात करेंगे जो की (3 से 4 पानी) मे तैयार होकर अच्छा उत्पादन देगी |
पूसा ओजस्वी Hi 1650 गेहूं की नई उन्नत किस्म
किसान लंबे समय से एक ऐसी गेहूं की किस्म की प्रतीक्षा कर रहे थे, जो परंपरागत चपाती किस्मों से अधिक उत्पादन दे, बाजार में अच्छा भाव मिले, और बिमारियों के प्रति प्रतिरोधक हो। गेहूं अनुसंधान केन्द्र (IARI) द्वारा तैयार की गई नई बायो-फोर्टिफाइड gehu किस्म Hi 1650 (पूसा ओजस्वी) उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करती है। gehu ki nai kism hi 1650
मुख्य विशेषताएँ
- दाने का आकार: सुडोल, चमकदार और लम्बाकार
- रंग: सुनहरा अम्बर
- 1000 दानों का वजन: 50 ग्राम (लगभग)
- बाली में दाने गिरने की समस्या: नहीं
- बायो-फोर्टिफाइड: जिंक (42.7 पीपीएम), आयरन (39.5 पीपीएम), प्रोटीन (11.4%)
- उत्पादन: 73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (आदर्श परिस्थिति में)
पोषक तत्व एवं क्वालिटी
इस किस्म में उच्च पोषण तत्व पाए जाते हैं, जैसे जिंक, आयरन, और प्रोटीन, जो इसे चपाती, ब्रेड, और बिस्किट के लिए उपयुक्त बनाते हैं। इसकी रोटी सफेद, मुलायम और स्वादिष्ट होती है। बिस्किट क्वालिटी इंडेक्स 7.9 है और सेडीमेटेशन वल्यू 39 ML है, जिससे यह एक आदर्श किस्म साबित होती है।
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पौधे की विशेषताएँ
पौधे की ऊंचाई 90-92 से.मी. होती है, जिससे आड़ा (लाजिंग) पड़ने की समस्या नहीं होती। पत्तियाँ चौड़ी और मजबूत होती हैं, जिससे किसानों को अधिक भूसा प्राप्त होता है। इसके अलावा, टिलरिंग अधिक होती है, जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।
बोने की विधि
इस किस्म की बीज दर 100 किलो प्रति हेक्टेयर या 40 किलो प्रति एकड़ है। 1 नवम्बर से 25 नवम्बर तक समय पर बोनी करने और 4-5 सिंचाई देने पर सर्वोत्तम परिणाम मिलते हैं।
उत्पादन क्षमता
Hi 1650 का अधिकतम उत्पादन आदर्श परिस्थिति में 73 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है, वहीं इसका एवेरेज उत्पादन 57 से 60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है | जो की Hi 1544 पूर्णा गेहूं से ज्यादा है |
रोग प्रतिरोधक क्षमता
यह किस्म मुख्य स्टेम रस्ट और लीफ रस्ट जैसी 23 प्रमुख बिमारियों के प्रति प्रतिरोधक है। इसके अलावा, यह पाला अवरोधक किस्म है, जिससे फसल को ठंड से नुकसान की संभावना कम रहती है।
अनुशंसित क्षेत्र :
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