मध्य प्रदेश में ड्यूरम गेहूं का क्षेत्रफल पांच से बढ़कर 20 फीसदी तक पँहुच गया है इस समय किसानो के बीच सबसे ज्यादा प्रयोग मे लाने वाली ड्यूरम गेहूं की किस्म पूसा तेजस Hi 8759,पौषण Hi 8663 और Hi 8713 पूसा मंगल है, ये किस्में अच्छा उत्पादन देने वाली गेहूं की किस्में है जिन्होंने किसानों के खेतों मे अच्छा प्रदर्शन किया व उच्च उत्पादन दिया है ।
हाल ही मे गेहूं की नई किस्म Hi 8830 एच आई 8830 पूसा कीर्ति विकसित की गई है जिसे अन्य ड्यूरम किस्मों जैसे पूसा तेजस , पूसा मंगल, पौषण आदि अन्य किस्मों के विकल्प के तौर पर किसानों के बीच लाया जा रहा है
Hi 8830 एच आई 8830 पूसा कीर्ति की प्रमुख विशेषताएं
- बुआई का समय: 25 अक्टूबर से 10 नवंबर तक
- औसत उत्पादन: 40 से 65.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
- बुआई दर: एक हेक्टेयर में 113 किलोग्राम बीज
- पौधे की ऊंचाई: 84 से 86 सेंटीमीटर
- फसल पकने का समय: 125 से 135 दिन
- 1000 दानों का वजन: 47 से 49 ग्राम
- दानों का स्वरूप: दीर्ध वृत्ताकार, चमकीला और थोड़ा कठोर
- पास्ता की गुणवत्ता: 6.5 की समग्र पास्ता स्वीकार्यता
- पोषक तत्व:
- प्रोटीन सामग्री: 11.3%
- पीला वर्णक सामग्री: 7.4 पीपीएम
- मिरॉन सामग्री: ~38.6 पीपीएम
- जिंक सामग्री: ~38.8 पीपीएम
Hi 8830 एच आई 8830 पूसा कीर्ति का उत्पादन :
पुसा कीर्ति Hi 8830 गेहूं की किस्म को कम पानी वाले क्षेत्रों मे भी उगाया जा सकता है, व औसतन 40 क्विंटल तक उत्पादन लिया जा सकता है साथ ही पुसा कीर्ति को समय से सिंचित अवस्था मे बुआई करने पर इसका अधिकतम उत्पादन 60 से 65.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक लिया जा सकता है ।
क्या तेजस गेहूं को टक्कर देगी गेहूं की नई किस्म पूसा कीर्ति
कुछ निजी बीज कंपनियों द्वारा Hi 8830 गेहूं के बीज को अच्छे दाम पर किसानों को बेचने के लिए Hi 8830 का उत्पादन बढ़ा चढ़ा कर बताया जा रहा है किसान सतर्क रहे, साल 2024 मे इस किस्म का बीज कई किसानों ने खरीदा है और इस वर्ष बुआई करेंगे इस किस्म के सटीक उत्पादन कि जानकारी किसानों के खेतों मे आए उत्पादन से ही पता चल पाएगा, फिलहाल सरकारी आँकड़ों मे पूसा कीर्ति Hi 8830 का अधिकतम उत्पादन 65 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आस पास बताया जा रहा है, वही तेजस का अधिकतम उत्पादन किसानों ने 70 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक लिया है। आगे आने वाली रिपोर्ट मे हम जानेंगे क्या यह किस्म अन्य ड्यूरम किस्मों की तुलना मे टिक पाएगी और तेजस को टक्कर दे पाएगी या नहीं ।
अन्य विशेषताएं
हमारे यहाँ प्रकृति ने कठिया (ड्यूरम) गेहूँ के उत्पादन हेतु अत्यंत आदर्श वातावरण एवं पस्थितियाँ प्राकृतिक रूप से प्रदान की है जिसके कारण कठिया गेहूँ की इस किस्म की क्वालिटी अंतर्राष्टीय स्तर की व उत्पादन अधिकतम प्राप्त होता है जिससे इस | किस्म की बड़ी स्थानीय माँग एवं निर्यात की असीम संभावनाएँ बनी हुई है ।
इस किस्म का पौधा मध्यम ऊँचाई का ऊँचाई लगभग 90 से. मी. पत्तियाँ चौड़ी, पर्ण कोण, सीधी सतह मोमी, मजबूत बालियाँ सफेद, बालियों पर रूए नहीं, काड़ी कड़क, ऊँचाई अधिक नहीं व जबरदस्त टिलरिंग होने के कारण इसके आड़ा पड़ने (लाजिंग) की समस्या नहीं , पौधा घना, फैलावदार व अधिक कुचे वाले होने के कारण किसानों को भूसा भी अधिक प्राप्त होता है, भूसे के भाव भी बहुत अच्छे मिलने के कारण किसान को लगने वाली गेहूँ की लागत का अधिकतम हिस्सा भूसे की आय में निकल जाता है।
इस किस्म का अंकुरण बहुत अच्छा होने से व टिलरिंग (कल्ले) अधिक होने से बीज दर भी कम लगती है तथा फसल की अवधि लगभग 120 दिन होने से कम सिंचाई में भी अधिकतम उत्पादन देने में यह किस्म सक्षम है।
बिमारियों के प्रति प्रतिरोधकता व पाले/ठंड के प्रति सहनशीलता के सभी गुण इस किस्म में अन्य उन्नत ड्यूरम किस्मों की | तरह स्वाभाविक रूप से देखे गए है ।
इस किस्म की बीज दर 113 किलो हेक्टेयर या लगभग 45 किलो एकड़ तथा लाईन से लाईन की दूरी 20 से.मी. रखने व 20 अक्टूबर से 25 नवंबर से पूर्व समय पर बोनी करने व अनुशंसित संतुलित उवर्रक एन. पी. के. व जिंक की मात्रा समय पर 100:50:25 उपयोग करने पर आदर्श परिणाम ।
इस किस्म में एक यह अच्छी बात है कि सीमित सिंचाई 1 से 2 देने पर भी यह किस्म अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती है। इस किस्म में किसानों द्वारा 3 से 4 सिंचाई में भी व्यवाहरिक रूप गतवर्ष कि विपरित मौसम एवं अधिक तापमान की परिस्थिति में भी अच्छा उत्पादन लिया गया है जो कि आश्चर्यजनक किंतु सत्य है । इस किस्म में किसान भाई दाने में दूध भरने ( जीव पड़ने) की अवस्था लगभग 85 से 90 दिन के बाद सिंचाई रोक देगें तो फसल के आड़ा पड़ने व दाने के पोट्या (धान्या) होने की संभावना नहीं के बराबर रहेगी जिससे किसानों को अधिकतम उत्पादन के साथ अच्छे बाजार भाव दोनों का लाभ मिलेगा।
गेहूँ की यह अत्यंत उन्नत एडवांस जनरेशन की यह ड्यूरम किस्म एच. आई. 8830 ( पूसा कीर्ति) अपने बहु आयामी गुणों के कारण अतिशीघ्र अपना एक विशिष्ट उच्च स्थान अतिशीघ्र बना लेगी तथा किसानों के लिये कठिया गेहूँ की खेती की एक नई परम्परा बनाते हुए उनके लिये वरदान सिद्ध होगी ।
गेहूं की अन्य नई किस्म 2024
- HI - 8826 पूसा पौष्टिक
- DBW - 377 करण बोल्ड
- HD - 3385
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गेहूं की नई किस्म HI-8826 पूसा पौष्टिक
Hi 8826 गेहूं की किस्म को हाल ही मे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है, Hi 8826 गेहूं को पूसा पौष्टिक के नाम से भी जाना जाता है यह किस्म अधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है इस किस्म को 4 से 6 पानी की आवश्यकता होती है |
Hi 8826 पूसा पौष्टिक गेहूं का उत्पादन :
HI 8826 का औसत उत्पादन 48.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वहीं इस किस्म का अधिकतम संभावित अनाज उत्पादन क्षमता 73.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बताई गई है, जिसे अनुकुल मौसम परिस्थितियों मे इसे और भी बढ़ाया जा सकता है |
HI 8826 की पूरी जानकारी के लिए यह देखें 👇👀
गेहूं की नई किस्म DBW - 377 करण बोल्ड
हाल ही में ICAR-Indian Institute of Wheat & Barley Research Karnal भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल हरियाणा ने गेंहू की एक और नई किस्म new variety को जारी कर दिया है। इस किस्म का नाम DBW 377 karan bold (डीबीडब्लू 377 / करण बोल्ड) ( New wheat Variety 2025) है।
DBW-377 करण बोल्ड गेहूं का उत्पादन :
डीबीडब्लयू 377 गेहूं के उत्पादन की अगर हम बात करे तो इसकी समय पर सिंचित शीघ्र अवस्था में बुआई की जाने पर इसका अधिकतम उत्पादन 86.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया गया है वही इसका एवरेज उत्पादन 64 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया है | जो की अन्य चेक प्रजातियों (जैसे डी बी डब्ल्यू 303, डी बी डब्ल्यू 187, और डी बी डब्ल्यू 322) की तुलना में ज्यादा देखा गया है |
बात करें अवधि की तो गेंहू डीबीडब्लयू 377 किस्म 124 दिन में पककर तैयार की जा सकती है एवं इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 87 सेमी है।
यह भी देखें 👇👀
गेहूं की नई किस्म HD-3385
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं (IARI) नई दिल्ली द्वारा विकसित गेहूं की यह नई किस्म बड़ते तापमान के प्रति शहनशील व जल्दी बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है इस किस्म की ऊंचाई लगभग 98 से.मी. है इस किस्म का दान आकर्षक चमकदार एंव बोल्ड होता है |
HD-3385 गेहूं का उत्पादन :
HD-3385 गेहूं के उत्पादन की अगर हम बात करे तो समय पर बुआई करने पर इसका अधिकतम उत्पादन लगभग 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है | जो की अन्य गेहूं की किस्मों - HD 2967 किस्म से 15%, HD 3086 किस्म से 10%, DBW 222 से 9% और DBW 187 से 6.7% ज्यादा है।
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