किसानो के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक हर साल नई नई गेहूं की किस्मों New varieties of wheat को इजाद करते रहते है जो रोगों से लड़ने तथा बदलते जलवायु परिवर्तन में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती है ।
आज इस पोस्ट के माध्यम से हम गेहूं की टॉप किस्मों Top varieties of wheat और उनकी विशेताओं characteristics के बारे में बात करेंगे ।
गेहूं की टॉप 5 वैरायटी 2024 / Top 5 Varieties of Wheat
1. गेहूं की नई किस्म DBW 377 (karan bold) / करण बोल्ड
DBW 377 (karan bold) / करण बोल्ड को ICAR-Indian Institute of Wheat & Barley Research Karnal भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल हरियाणा द्वारा विकसित किया गया है
जलवायु एवं अनुकूल क्षेत्र : छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग और राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभाग आदि इस किस्म की खेती के लिए अनुकूल है ।
गेंहू डीबीडब्लयू 377 पत्ती और तने के जंग के लिए अत्यधिक प्रतिरोधी है। डीबीडब्ल्यू 377 गेहूं ब्लास्ट रोग और करनाल बंट के प्रति प्रतिरोधी है
इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा 11.7% पाई गई है, जो अच्छी मानी जाती है। इसका हेक्टोलिटर भार 79.5 पाया गया, और बिस्कुट फ्लोर की गुणवत्ता भी उच्च है। चपाती की गुणवत्ता के स्कोर के अनुसार 7.7/10 अंक प्राप्त हुए हैं।
इस किस्म के 1000 (एक हजार) दानों का वजन (48 ग्राम) पाया गया जो अन्य चेक किस्मों की तुलना में ज्यादा है |
DBW 377 (करण बोल्ड) का उत्पादन :
DBW 377 गेंहू डीबीडब्लयू 377 के उत्पादन की अगर हम बात करे तो इसकी समय पर सिंचित शीघ्र अवस्था में बुआई की जाने पर इसका अधिकतम उत्पादन 86.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक बताया गया है वही इसका एवरेज उत्पादन 64 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है |
2. DBW 327 Karan shivani / करण शिवानी
पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले और हरियाणा के पानीपत जिले के किसानों ने आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) karan Shivani किस्म से रिकॉर्ड तोड़ पैदावार प्राप्त की है। डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) किस्म दो प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में असाधारण प्रदर्शन करने वाली किस्म के रूप में उभरी है
डीबीडब्ल्यू 327 (DBW 327) करण शिवानी, गेहूं की अगेती किस्म है. गेहूं की इस खास किस्म को उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों के लिए विकसित किया गया है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर को डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में आसानी से इसकी खेती की जा सकती है.
DBW 327 का उत्पादन :
इस किस्म की उपज क्षमता 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जिसकी औसत उपज 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो गेहूं उत्पादन के लिए एक नया बेंचमार्क है। किसानों ने आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर बीज पोर्टल से गुणवत्तापूर्ण बीज प्राप्त किए, फीडबैक दिया और उच्चतम उपज की सूचना दी है |
3. करण नरेन्द्र (Karan Narendra)
गेहूं की किस्म करण नरेंद्र जिसे DBW-222 भी कहा जाता है. इस किस्म को भी आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है.
करण नरेंद्र गेहूं का उत्पादन :
गेहूं की यह किस्म करण नरेंद्र एक हेक्टेयर में लगभग 82.1 क्विंटल तक अधिकतम उत्पादन देती है. इसे रोटी, ब्रेड और बिस्किट बनाने के लिए कारगर माना जाता है. इसकी बुआई अगेती की जा सकती है. यह किस्म 143 दिन में तैयार हो जाती है.
4. DBW डीबीडब्ल्यू- 370 (करण वैदेही)
DBW-370 (करण वैदेही) गेहूं की किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने विकसित किया है. यह एक अर्ध-बौनी किस्म है और ज़्यादा उपज देती है. इसे करण वैदेही के नाम से भी जाना जाता है. यह गेहूं की एक बायो फ़ोर्टिफ़ाइड किस्म है.
DBW-370 का उत्पादन :
DBW-370 किस्म की अधिकतम उत्पादन क्षमता 86.9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है। वहीं इसकी औसत उपज की बात करे तो 74.9 क्विंटल तक प्राप्त हो जाती है। गेहूं की यह किस्म 151 दिन में पककर तैयार होती है।
5. DBW डीबीडब्ल्यू- 371 (करण वृंदा)
गेहूं की डीबीडब्ल्यू- 371 यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त है।
इस किस्म को हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान जिसमें कोटा व उदयपुर को छोड़कर शेष जिलों में इसे उगाया जा सकता है। वहीं उत्तर प्रदेश में झांसी मंडल को छोड़कर इसकी खेती की जा सकती है।
इसके अलावा जम्मू कश्मीर के जम्मू और कठुआ जिले, हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला, पोंटा घाटी और उत्तराखंड के तराई वाले इलाकों में इसकी खेती की जा सकती है। गेहूं की यह किस्म 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
DBW 371 का उत्पादन :
इस किस्म से अधिकतम 87.1 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। जबकि इसकी औसत उपज 75.1 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है।
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