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प्रतिकात्मक चित्र |
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव भारतीय कृषि पर गंभीर रूप से पड़ रहा है। विशेष रूप से गेहूं जैसी मौसम-संवेदनशील फसलों पर इसका बड़ा असर हो रहा है। जैसे कि आपने देखा होगा 2022 के मार्च में आई हीट वेव ने गेहूं की पैदावार पर नकारात्मक प्रभाव डाला, जिससे यह साफ हो गया कि बढ़ते तापमान और अनियमित मौसम का खेती पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
2050 और 2080 तक गेहूं के उत्पादन में 15 से 25 फीसदी संभावित गिरावट के अनुमान है इस आंकलन से यह भी स्पष्ट होता है कि अगर इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो खाद्य सुरक्षा पर बड़ा संकट आ सकता है। किसानों को नई तकनीकों, फसल विविधीकरण, और जलवायु-अनुकूलन नीतियों की आवश्यकता होगी ताकि वे इन चुनौतियों का सामना कर सकें और फसल उत्पादन को स्थिर रख सकें। साथ ही, जल संरक्षण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने से इस संकट को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
गर्मी सहन करने वाली गेहूं की किस्में
HD - 3410 गेहूं की किस्म
HD-3410 गेहूं की किस्म, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा द्वारा 2022 में विकसित किया गया था, जलवायु परिवर्तन और बढ़ते तापमान से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए इस किस्म को विकसित किया गया है।
यह अगेती किस्म है, जिसकी उपज क्षमता लगभग 65 से 70 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है। इस किस्म की लंबाई 110 सेंटीमीटर से कम होती है, जो इसे कम ऊंचाई वाली और प्रबंधन में आसान बनाती है। इसका विकास विशेष रूप से किसानों के लिए बदलती जलवायु परिस्थितियों में अधिक उत्पादकन प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया है।
HD - 3385 गेहूं की किस्म
एचडी 3385 गेहूं की किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर-आईएआरआई) द्वारा विकसित किया गया है,
यह किस्म जलवायु परिवर्तन के समय तापमान में आई अचानक वृद्धि को सहन करने की क्षमता रखती है, जिससे फसल को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
साथ ही उत्पादन की बात करे तो उत्पादन में भी यह किस्म अन्य किस्मों की तुलना में श्रेष्ठ है, HD 3385 गेहूं का उत्पादन 75 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक लिया जा सकता है ।
HD - 3385 किस्म के बारे में अधिक जानकारी के लिए देखे हमारी ये रिपोर्ट - गेहूं की नई वैरायटी 2024 : बंपर उत्पादन के साथ गर्मी के प्रति सहनशील गेहूं की नई किस्म एचडी 3385 | HD-3385 wheat variety details in hindi
HDCSW-18 गेहूं की किस्म
गेहूं की किस्म HDCSW - 18 को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) पूसा द्वारा विकसित किया है, जिसको 2016 में अधिसूचित किया गया था. गेहूं उच्च तापमान के प्रति सहनशीलता के साथ में भूरा रतुआ रोग प्रतिरोधी है.
इनके पौधों की लंबाई 105 से 110 सेंटीमीटर होती है, जबकि सामान्य किस्मों की लंबाई 90 से 95 सेंटीमीटर होती है. अधिक लंबाई के कारण उनके पौधे ज्यादा गिरने या झुकने की संभावना अधिक होती है.
यह किस्म अन्य किस्मों जैसे HD-2967 और HD-3086 किस्म की तुलना में अधिक उपज देती है. HDCSW-18 से आप प्रति हेक्टेयर 70 से 75 क्विंटल तक गेहूं की उपज प्राप्त कर सकते हैं. वहीं, HD-2967 और HD-3086 से प्रति हेक्टेयर 60 से 65 कुंटल पैदावार मिलती है.
अन्य किस्में :
एचआई -8823 (पूसा प्रभात)
एचआई -8823 सूखा और गर्मी सहने में सक्षम हैं. इनका बालियां समय पर पक जाती है. इसकी परिपक्वता अवधि 105 से 138 दिन है. जिसे दो सिंचाई में भी पकाया जा सकता है, लंबे अंतराल (सवा महीने ) में 2 सिंचाई करने पर भी इसे पकाया जा सकता है. इसका उत्पादन हेक्टेयर 40 -42 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है. कीट और रोग नहीं लगते. दाना बड़ा और भूरा-पीला होता है. ये किस्म मप्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा, उदयपुर संभाग और उप्र के झांसी संभाग के लिए जारी की गई है.
एचआई -1636 (पूसा वकुला)
HI - 1636 पूसा वकुला शरबती और चंदौसी की तरह यह चपाती के लिए बढ़िया किस्म है, जो पोषक तत्वों आइरन,कॉपर,ज़िंक ,प्रोटीन से भरपूर है। इसे पुरानी प्रजाति लोकवन और सोना का नया विकल्प समझा जा सकता है। यह किस्म 118 दिन में पकती है। जिसकी बीज मात्रा 1 क्विंटल /हेक्टेयर है। छोटे कद की यह प्रजाति भी ज़मीन पर नहीं गिरती है। इसका उत्पादन 60 -65 क्विंटल /हेक्टेयर है, इस किस्म में 4 से 5 पानी देने की आवश्यकता होती है जिससे यह अच्छी तरह पक कर तैयार हो जाती है ।
इन दिनों मध्यप्रदेश में खरीफ फसलों की कटाई का कार्य चल रहा है सोयाबीन की फसल की कटाई चालू हो चुकी है, वहीं जो किसान सोयाबीन की फसल से फ्री हो चुके हैं वह अब अपने खेतो की तैयारी रबी की फसल के लिए करने में लग गए है ।
भारत में गेहूं की खेती मुख्य रूप से शीतकालीन फसल के रूप में की जाती है, जिसे रबी सीजन में अक्टूबर-नवंबर के दौरान बोया जाता है और मार्च-अप्रैल में काटा जाता है।
भारत विश्व में गेहूं उत्पादन में अग्रणी देशों में से एक है, और यहाँ की जलवायु इस फसल के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी जाती है। प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान शामिल हैं।
किसानो के उत्पादन को बढ़ाने के लिए हमारे देश के कृषि वैज्ञानिक हर साल नई नई गेहूं की किस्मों New varieties of wheat को इजाद करते रहते है जो रोगों से लड़ने तथा बदलते जलवायु परिवर्तन में भी अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती है ।
आज इस पोस्ट के माध्यम से हम गेहूं की कुछ नई किस्मों New varieties of wheat और उनकी विशेताओं characteristics के बारे में बात करेंगे ।
1. गेहूं की किस्म DBW 303 करण वैष्णवी (DBW 303 wheat variety)
DBW 303 करण वैष्णवी gehu किस्म को भारतीय जौ एवं अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित की गई है। इस किस्म को 2021 मे अधिसूचित किया है। यह किस्म 145 – 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है। लगभग 70 से 80 दिनों के आसपास पौधे में बाली आ जाती है।
Wheat variety DBW 303 करण वैष्णवी/ karan vaishnavi गेहूं की किस्म को उत्तर-पश्चिमी पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है।
इसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर जिलों को छोड़कर), पश्चिमी उत्तर प्रदेश के (झांसी क्षेत्र को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर (जम्मू और कठुआ जिले), हिमाचल प्रदेश (ऊना जिला और पांवटा घाटी) और उत्तराखंड (तराई क्षेत्र) के कुछ हिस्सों में खेती के लिए उपयुक्त माना गया है।
उत्पादन : DBW 303 का औसत उत्पादन 81.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वही उन्नत तरीकों से खेती करके इसके उत्पादन को और भी बढ़ाया जा सकता है |
2. गेहूं की किस्म डीबीडब्लू 377 करण बोल्ड (DBW 377 karan bold new wheat variety)
हाल ही में भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल हरियाणा ने गेंहू की एक और नई किस्म new variety को जारी कर दिया है। इस किस्म का नाम DBW 377 karan bold (डीबीडब्लू 377 / करण बोल्ड) है। ( New wheat Variety 2025)
डी बी डब्ल्यू 377(करण बोल्ड) गेहूं की किस्म को मध्य क्षेत्र के लिए सिंचित एवं अगेती बुआई हेतु वर्ष 2024 में विमोचन और अधिसूचना के तहत अनुमोदित किया गया है।
खेती के लिए अनुशंसित क्षेत्र छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश के झांसी संभाग और राजस्थान के कोटा और उदयपुर संभाग में उपज परीक्षण में बेहतर प्रदर्शन देखा गया है।
उत्पादन : गेंहू डीबीडब्लयू 377 के उत्पादन की अगर हम बात करे तो इसकी समय पर सिंचित शीघ्र अवस्था में बुआई की जाने पर इसका अधिकतम उत्पादन 86.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया गया है वही इसका एवरेज उत्पादन 64 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया है ।
3. करण वंदना गेंहू की किस्म (DBW 187 karan Vandana Wheat Variety)
भाकृअनुप-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित गेहूं की यह किस्म करण वंदना (डीबीडब्ल्यू 187) जो की पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम और पश्चिम बंगाल सहित पूर्वोत्तर मैदानी क्षेत्रों की सिंचित समय पर बुवाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है ।
करण वंदना dbw 187 किस्म पर 77 दिनों में फूल आ जाते है और बुवाई के 120 दिनों में पक जाती है। इसकी औसत ऊंचाई 100 सेमी है और इसकी क्षमता 64.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म में 7.7/10 स्कोर के साथ बेहतर चपाती की गुणवत्ता है और इसके दानों में उच्च लौह तत्व (43.1 पीपीएम) शामिल है।
4. करण नरेंद्र गेंहू की किस्म (DBW 222 karan Narendra Wheat Variety)
गेहूं की किस्म करण नरेंद्र को भी आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म एक हेक्टेयर में लगभग 82.1 क्विंटल उत्पादन देती है. इसे रोटी, ब्रेड,पिज्जा और बिस्किट आदि बनाने के लिए कारगर माना जाता है. इसकी बुआई अगेती की जा सकती है. यह किस्म 143 दिन में तैयार हो जाती है.
5. डीबीडब्ल्यू 327 / करण शिवानी (DBW 327 Karan shivani)
डीबीडब्ल्यू 327 (DBW 327) करण शिवानी, गेहूं की अगेती किस्म है. गेहूं की इस खास किस्म को उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों के लिए विकसित किया गया है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर को डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में आसानी से इसकी खेती की जा सकती है.
इस किस्म की उपज क्षमता 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जिसकी औसत उपज 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो गेहूं उत्पादन के लिए एक नया बेंचमार्क है।
यह भी देखे - गेहूं की नई किस्म 2024-25 : रिकॉर्ड तोड़ पैदावार देने वाली गेंहू की नई किस्म dbw 327 करण शिवानी
गेहूं की अन्य नई किस्म 2024
- HI - 8826 पूसा पौष्टिक
- HI - 8830 पूसा कीर्ति
- DBW - 377 करण बोल्ड
- HD - 3385
गेहूं की नई किस्म HI-8826 पूसा पौष्टिक
Hi 8826 गेहूं की किस्म को हाल ही मे
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है, Hi 8826 गेहूं को पूसा पौष्टिक के नाम से भी जाना जाता है यह किस्म अधिक सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है इस किस्म को 4 से 6 पानी की आवश्यकता होती है |
Hi 8826 पूसा पौष्टिक गेहूं का उत्पादन :
HI 8826 का औसत उत्पादन 48.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, वहीं इस किस्म का अधिकतम संभावित अनाज उत्पादन क्षमता 73.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक बताई गई है, जिसे अनुकुल मौसम परिस्थितियों मे इसे और भी बढ़ाया जा सकता है |
HI 8826 की पूरी जानकारी के लिए यह देखें 👇👀
गेहूं की नई किस्म HI-8830 पूसा कीर्ति
गेहूं की नई किस्म HI-8830 को भी पूसा के सहयोगी संस्थान गेहूं अनुसंधान केंद्र इंदौर द्वारा देश के मध्य क्षेत्र - मध्यप्रदेश, दक्षिणी राजस्थान,बुंदेलखंड,गुजरात और छत्तीसगढ़ के लिए समय पर बुआई हेतु अनुसंसित किया गया है |
Hi 8830 पूसा कीर्ति गेहूं का उत्पादन :
पुसा कीर्ति को समय से सिंचित अवस्था मे बुआई करने पर इसका उत्पादन 60 से 65.3 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक आसानी से लिया जा सकता है। वहीं अनुकूल मौसम परिस्थितीयो में इसके उत्पादन को और भी बढ़ाया जा सकता है |
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गेहूं की नई किस्म DBW - 377 करण बोल्ड
हाल ही में ICAR-Indian Institute of Wheat & Barley Research Karnal भारतीय गेंहू एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल हरियाणा ने गेंहू की एक और नई किस्म new variety को जारी कर दिया है। इस किस्म का नाम DBW 377 karan bold (डीबीडब्लू 377 / करण बोल्ड) ( New wheat Variety 2025) है।
DBW-377 करण बोल्ड गेहूं का उत्पादन :
डीबीडब्लयू 377 गेहूं के उत्पादन की अगर हम बात करे तो इसकी समय पर सिंचित शीघ्र अवस्था में बुआई की जाने पर इसका अधिकतम उत्पादन 86.4 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया गया है वही इसका एवरेज उत्पादन 64 क्विंटल प्रति हैक्टेयर दर्ज किया है | जो की अन्य चेक प्रजातियों (जैसे डी बी डब्ल्यू 303, डी बी डब्ल्यू 187, और डी बी डब्ल्यू 322) की तुलना में ज्यादा देखा गया है |
बात करें अवधि की तो गेंहू डीबीडब्लयू 377 किस्म 124 दिन में पककर तैयार की जा सकती है एवं इसके पौधे की ऊंचाई लगभग 87 सेमी है।
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गेहूं की नई किस्म HD-3385
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान एवं (IARI) नई दिल्ली द्वारा विकसित गेहूं की यह नई किस्म बड़ते तापमान के प्रति शहनशील व जल्दी बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है इस किस्म की ऊंचाई लगभग 98 से.मी. है इस किस्म का दान आकर्षक चमकदार एंव बोल्ड होता है |
HD-3385 गेहूं का उत्पादन :
HD-3385 गेहूं के उत्पादन की अगर हम बात करे तो समय पर बुआई करने पर इसका अधिकतम उत्पादन लगभग 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त किया जा सकता है | जो की अन्य गेहूं की किस्मों - HD 2967 किस्म से 15%, HD 3086 किस्म से 10%, DBW 222 से 9% और DBW 187 से 6.7% ज्यादा है।