गेहूं की नई किस्म 2024 : रिकॉर्ड तोड़ पैदावार देने वाली गेंहू की नई किस्म dbw 327 wheat variety

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डीबीडब्ल्यू 327 / करण शिवानी (DBW 327 Karan shivani) dbw 327 wheat variety

पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले और हरियाणा के पानीपत जिले के किसानों ने आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) karan Shivani किस्म से रिकॉर्ड तोड़ पैदावार प्राप्त की है। डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) किस्म दो प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में असाधारण प्रदर्शन करने वाली किस्म के रूप में उभरी है

इस किस्म की उपज क्षमता 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जिसकी औसत उपज 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जो गेहूं उत्पादन के लिए एक नया बेंचमार्क है। किसानों ने आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर बीज पोर्टल से गुणवत्तापूर्ण बीज प्राप्त किए, फीडबैक दिया और उच्चतम उपज की सूचना दी है |

डीबीडब्ल्यू 327 (DBW 327) करण शिवानी, गेहूं की अगेती किस्म है. गेहूं की इस खास किस्म को उत्तर पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों के लिए विकसित किया गया है. पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान (कोटा और उदयपुर को डिवीजन को छोड़कर) और पश्चिमी उत्तर प्रदेश (झांसी डिवीजन को छोड़कर), जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में आसानी से इसकी खेती की जा सकती है.


गेहूं की उन्नत किस्म DBW 327 करण शिवानी की विशेषताएं - dbw 327 wheat variety

• इस किस्म की उपज क्षमता 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है, जिसकी औसत उपज 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है

• DBW 327 किस्म की खेती उन इलाकों में भी हो सकती है जिन इलाकों में सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है.

• गेहूं की यह खास किस्म सूखे के प्रति सहनशील है. उच्च तापमान में भी इससे अच्छी उपज मिलती है.

• गेहूं की इस खास किस्म में बुवाई के 98 दिनों में बालियां निकल जाती है.

• DBW 327 गेहूं की यह खास किस्म बुवाई के 155 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है.

• DBW 327 के तनों की ऊंचाई 98 सेमी होती है.

• फसल बुवाई के 155 दिनों बाद तैयार हो जाती है.

• चपाती के लिए गेहूं की यह किस्म अच्छी है.

• इस किस्म में आयरन की मात्रा 39.4 पीपीएम तथा जिंक की मात्रा 40.6 पीपीएम है.



गेहूं की अन्य नई किस्में 

करण वंदना (Karan Vandana) / DBW 187

गेहूं की करण वंदना किस्म को DBW 187 के नाम से भी जाना जाता है. इस किस्म को ICAR-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. 

इस किस्म के गेहूं में पीला रतुआ और ब्लास्ट जैसी बीमारियों की संभावना बहुत कम होती है. यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और जम्मू के किसानों के लिए बेहतर है. करण वंदना किस्म की फसल 148 दिन में तैयार हो जाती है. ब्रेड बनाने में इसका परिणाम बेहतर आया है.

करण श्रिया (Karan Shriya)

गेहूं की उन्नत किस्मों में करण श्रिया का नाम भी शामिल है. इस किस्म को DBW 252 कहा जाता है. इस किस्म को जून 2021 में किसानों के लिए लॉन्च किया गया था. जिसे ICAR-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. करण श्रिया किस्म को एक सिंचाई की आवश्यकता होती है. इस किस्म से एक हेक्टेयर में लगभग 55 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. करण श्रिया किस्म 127 दिन में तैयार हो जाती है. यह किस्म पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड तथा उत्तर-पूर्व के तराई क्षेत्रों के किसानों के लिए उपयोगी है.


करण नरेन्द्र (Karan Narendra)

गेहूं की अद्भुत किस्मों में करण नरेंद्र भी शामिल हैं. इसे DBW-222 भी कहा जाता है. इस किस्म को भी आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म एक हेक्टेयर में लगभग 82.1 क्विंटल उत्पादन देती है. इसे रोटी, ब्रेड और बिस्किट बनाने के लिए कारगर माना जाता है. इसकी बुआई अगेती की जा सकती है. यह किस्म 143 दिन में तैयार हो जाती है.



DBW डीबीडब्ल्यू- 370 (करण वैदेही)

DBW-370 (करण वैदेही) गेहूं की किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने विकसित किया है. यह एक अर्ध-बौनी किस्म है और ज़्यादा उपज देती है. इसे करण वैदेही के नाम से भी जाना जाता है. यह गेहूं की एक बायो फ़ोर्टिफ़ाइड किस्म है. इस किस्म की उत्पादन क्षमता 86.9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक है। वहीं इसकी औसत उपज की बात करे तो 74.9 क्विंटल तक प्राप्त हो जाती है। गेहूं की यह किस्म 151 दिन में पककर तैयार होती है।



DBW डीबीडब्ल्यू- 371 (करण वृंदा)

गेहूं की डीबीडब्ल्यू- 371 यह किस्म सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की अगेती बुवाई के लिए उपयुक्त है। इस किस्म से अधिकतम 87.1 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। जबकि इसकी औसत उपज 75.1 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। 

इस किस्म को हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान जिसमें कोटा व उदयपुर को छोड़कर शेष जिलों में इसे उगाया जा सकता है। वहीं उत्तर प्रदेश में झांसी मंडल को छोड़कर इसकी खेती की जा सकती है। 

इसके अलावा जम्मू कश्मीर के जम्मू और कठुआ जिले, हिमाचल प्रदेश का ऊना जिला, पोंटा घाटी और उत्तराखंड के तराई वाले इलाकों में इसकी खेती की जा सकती है। गेहूं की यह किस्म 150 दिन में पककर तैयार हो जाती है।


DBW डीबीडब्ल्यू- 372 (करण वरुणा)

  • गेहूं की डीबीडब्ल्यू- 372 किस्म की उत्पादन क्षमता 84.9 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। 
  • वहीं इसकी औसत उपज 75.3 क्विंटल प्रति हैक्टेयर प्राप्त होती है। 
  • यह किस्म 151 दिन में पककर तैयार हो जाती है।


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