कम दाम में सौदा क्यों कर रहे किसान ?
सोयाबीन की फसल के बाद किसानो को अपने खेत दूसरी फसल के लिए तैयार करना है, जिसके लिए उन्हें खाद, बीज, मजदूरी आदि कई प्रकार के खर्च करना है जिसके लिए उन्हें सोयाबीन को मजबूरी में कम दाम पर बेचना पड़ रहा है क्योंकि अधिकतर किसानो के पास केवल खेती ही एक मात्र आय का साधन है |
किसानो की मांग अबकी बार 6000 पार
किसानो की सोयाबीन के भाव को लेकर मांग स्पष्ट रूप से साफ देखी जा सकती है किसानो को सोयाबीन का मिनिमम भाव 6000 रुपए चाहिए, किसानो का कहना है सोयाबीन में बहुत अधिक लागत के चलते सोयाबीन के वर्तमान दाम में खर्च भी निकालना मुश्किल हो रहा है, सोयाबीन में खाद बीज से लेकर खरपतवार नाशक, कीटनाशक और फफुंदनाशक आदि सभी चीजों के मूल्यों में हर साल वृद्धि हो रही है लेकिन सोयाबीन के दाम गिरते जा रहे है, सोयाबीन के भाव जो कई साल पहले थे आज भी वही आ गए है |
सोयाबीन की MSP पर खरीदी कब होगी ?
मध्यप्रदेश में सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदी 25 अक्टूबर 2024 से शुरू होगी और 31 दिसंबर 2024 तक चलेगी। इस खरीद के लिए किसानों को 25 सितंबर से 15 अक्टूबर 2024 के बीच पंजीकरण करना होगा। इस वर्ष, सोयाबीन की MSP ₹4,892 प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है।
लेकिन इसमें भी सरकार ने किसानो से केवल उत्पादन का 40% ही सोयाबीन किसानो से खरीदने की बात कही है । जिस पर भी किसानों में सरकार के प्रति नाराजगी साफ देखी जा सकती है ।
सोयाबीन के गिरते दाम को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए ?
मध्यप्रदेश सरकार ने सोयाबीन के गिरते दामों को देखते हुए सोयाबीन की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर करने के लिए केंद्र सरकार से मंजूरी ली है। सोयाबीन की MSP ₹4,892 प्रति क्विंटल तय की गई है, जो बाजार में मिल रहे दामों से अधिक है।
किसान हितैषी केंद्र सरकार के निर्णय
— Agriculture Department, MP (@minmpkrishi) September 17, 2024
---
✅खाद्य तेलों के आयात शुल्क को 𝟎% से बढ़ाकर 𝟐𝟎% किया गया।
✅कुल प्रभावी शुल्क 𝟐𝟕.𝟓% होगा
✅सोयाबीन की फसल के दाम बढ़ेंगे
✅किसानों को सही दाम मिलेंगे@narendramodi @PMOIndia @AgriGoI@Aidalsinghkbjp #JansamparkMP pic.twitter.com/v9LFKdnATG
मध्यप्रदेश सरकार केवल 40% सोयाबीन की फसल ही न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदेगी। इसका कारण यह है कि सोयाबीन की कुल उत्पादन क्षमता बहुत अधिक है, और सरकार की आर्थिक एवं लॉजिस्टिक सीमाएं भी होती हैं। राज्य सरकार का मानना है कि कुछ मात्रा तक सरकारी खरीदी होने पर बाजार में कीमतों में स्थिरता आएगी, जिससे बाकी फसल भी बेहतर दामों पर बिक सकेगी।सरकार का मुख्य उद्देश्य बाजार में हस्तक्षेप कर दामों को गिरने से रोकना और किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य दिलाना है। हालांकि, यह सीमित खरीद नीति होने के कारण, सभी किसान MSP पर अपनी पूरी उपज बेच नहीं पाएंगे |
सोयाबीन का भाव 6000 रुपए होना चाहिए ✅
जवाब देंहटाएं