सोयाबीन की नई लोकप्रिय किस्म NRC 150

Lokesh Anjana
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एनआरसी 150 सोयाबीन (NRC 150) भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (ICAR-Indian Institute of Soybean Research, इंदौर) द्वारा विकसित एक उन्नत किस्म है। NRC 150 सोयाबीन इन दिनों किसानो के बीच एक लोकप्रिय किस्म है |

एनआरसी NRC 150 सोयाबीन | NRC 150 SOYABEAN VARIETY 

किस्म की विशेषताएँ:

  • प्रमुख विशेषता: उच्च उत्पादन क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता।
  • विकास अवधि: यह किस्म 90-95 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।
  • पौधे की ऊंचाई: लगभग 45-55 सेमी।
  • बीज का रंग: पीले रंग के बीज।
  • बीज का आकार: मध्यम आकार के गोल और समान आकार के बीज।

उपज क्षमता:

  • उपज: इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 25-30 क्विंटल की उपज प्राप्त की जा सकती है, जो खेती की सही विधियों और अनुकूल परिस्थितियों में और भी अधिक हो सकती है।

रोग प्रतिरोधक क्षमता:

  • रोग प्रतिरोधकता: यह किस्म जड़ गलन (Root rot), पत्ती धब्बा (Leaf spot), और अन्य सामान्य रोगों के प्रति प्रतिरोधक है।

जलवायु और मिट्टी:

  • जलवायु: इसे उगाने के लिए मध्यम वर्षा और गर्म जलवायु उपयुक्त है।
  • मिट्टी: अच्छे जल निकास वाली दोमट या रेतीली दोमट मिट्टी इस किस्म के लिए आदर्श मानी जाती है। मिट्टी का pH 6.5-7.5 के बीच होना चाहिए।


खेती की विधि:

  • बुवाई का समय: जून के मध्य से जुलाई के पहले सप्ताह तक।
  • बुवाई की दूरी: पौधों के बीच 30-40 सेमी की दूरी और कतारों के बीच 10-15 सेमी की दूरी रखें।
  • खाद एवं उर्वरक: प्रति हेक्टेयर 20-25 किलो नाइट्रोजन, 60-80 किलो फास्फोरस और 40-50 किलो पोटाश का उपयोग करें। जैविक खाद का भी प्रयोग कर सकते हैं।
  • सिंचाई: सामान्यतः वर्षा आधारित खेती के लिए अनुकूल, परंतु आवश्यकता अनुसार 2-3 सिंचाई दी जा सकती है।

कटाई और भंडारण:

  • कटाई का समय: जब पत्तियां पीली होकर गिरने लगें और पौधों में मौजूद फलियां पूरी तरह से पक जाएं।
  • भंडारण: बीजों को अच्छे तरीके से सुखाकर, वायुरोधी कंटेनर में रखें, ताकि नमी और कीटों से बचाव हो सके।

उपयोग:

  • प्रोटीन स्रोत: एनआरसी 150 सोयाबीन में उच्च मात्रा में प्रोटीन (लगभग 40%) और तेल (लगभग 20%) होता है, जो इसे पोषण के लिए उपयोगी बनाता है।
  • उद्योग में उपयोग: इसे खाद्य तेल, सोयाबीन आटा, सोया दूध, और अन्य सोया उत्पादों के उत्पादन में उपयोग किया जाता है।

किसानों के लिए लाभ:

  • कम खर्च: उच्च उपज और रोग प्रतिरोधक क्षमता के कारण यह किस्म किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है।
  • कम पानी की आवश्यकता: इसे उगाने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है, जिससे यह कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छा उत्पादन देती है।
  • हार्वेस्टर से काटने में आसानी: इस किस्म की हाइट अच्छी होने के कारण आसानी से हार्वेस्टर में कटाई करा सकते है |
यह किस्म NRC 150 गंध रहित: सोयाबीन की प्राकृतिक गंध पसंद नहीं आने के कारण कई लोग इससे बने खाद्य उत्पादों का इस्तेमाल करने से परहेज करते हैं, लेकिन इंदौर के भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (IISR) के वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकालते हुए सोयाबीन की अनचाही गंध से मुक्त किस्म NRC विकसित करने में कामयाबी हासिल की है। आसान शब्दों में कहें तो इससे बनने वाले सोया दूध, सोया पनीर, सोया टोफू आदि उत्पादों में यह गंध नहीं आएगी। IISR के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, सोयाबीन का मप्र के लिए एनआरसी सोयाबीन की किस्में ‘एनआरसी 150’ किस्म प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है और कुपोषण दूर करने के लक्ष्य के साथ विकसित की गई है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अनचाही गंध से मुक्त होने के कारण सोयाबीन की इस किस्म से बने खाद्य पदार्थों का आम लोगों में इस्तेमाल बढ़ेगा।

कम वर्षा में प्रतिकूल उत्पादन: कई किसान इस वैरायटी को गर्मी में लगाकर बीज पैदावार कर रहे हैं वहीं यह वैरायटी कम पानी में भी पकाने लायक है। यह प्रतिकूल मौसम की वजह से उत्पन्न होने वाली परिस्थिति के कारण सोयाबीन की खेती में करने में कठिनाई आती जा रही है। सोयाबीन की फसल में फैलने वाले रोग एवं कम वर्षा के कारण सोयाबीन की पैदावार प्रभावित होती है। जिसके चलते किसानों की आय प्रभावित हो रही है। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों की इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए अब सोयाबीन की कई ऐसी किस्में इजाद की है, जो कम वर्षा में भी अच्छा उत्पादन देगी।

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